विश्व में विज्ञान केंद्रों और संग्रहालयों का सबसे बड़ा नेटवर्क

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विश्व में विज्ञान केन्द्रों/संग्रहालयों का सबसे बड़ा नेटवर्क

राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त निकाय का गठन 4 अप्रैल 1978 को किया गया था। आज, यह पूरे भारत में 26 विज्ञान केंद्रों/संग्रहालयों का संचालन करता है।

एनसीएसएम ने 26 विज्ञान संग्रहालयों और केंद्रों का अपना राष्ट्रव्यापी नेटवर्क विकसित किया है। उत्तर, दक्षिण, पूर्व, उत्तर पूर्व और पश्चिम क्षेत्रों में विभाजित 26 केंद्रों में से 7 राष्ट्रीय स्तर के केंद्र हैं, अर्थात् साइंस सिटी, कोलकाता, बिड़ला औद्योगिक और प्रौद्योगिकी संग्रहालय (बीआईटीएम), कोलकाता, नेहरू विज्ञान केंद्र (एनएससी), मुंबई, विश्वेश्वरैया औद्योगिक और प्रौद्योगिकी संग्रहालय (वीआईटीएम), बेंगलुरु, राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र (एनएससी), दिल्ली, राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, गुवाहाटी और केंद्रीय अनुसंधान और प्रशिक्षण प्रयोगशाला, कोलकाता।

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भ्रमणशील विज्ञान प्रदर्शनी

भ्रमणशील विज्ञान प्रदर्शनी (एमएसई) मूल रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न विषयों पर आधारित बसों पर विज्ञान प्रदर्शनी है। भ्रमणशील विज्ञान प्रदर्शनी ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान संचार करने के लिए एनसीएसएम का एक प्रयास है।

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने आकांक्षी जिलों में 25 एमएसई बसों 2019-20 को लॉन्च करने के लिए एक अभियान चलाया है। भारत सरकार का लक्ष्य उन जिलों का उत्थान करना है जिन्होंने एक जन आंदोलन के माध्यम से महत्वपूर्ण सामाजिक परिणाम प्राप्त करने में अपेक्षाकृत कम प्रगति दिखाई है और कुछ जिलों को 'आकांक्षी जिले' के रूप में नामित किया है।

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नवप्रवर्तन केंद्र

नवप्रवर्तन केंद्र ऐसे स्थान हैं जो युवाओं में जिज्ञासु दृष्टिकोण विकसित करने एवं नए विचारों को पोषित करने की सुविधा प्रदान करते हैं। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद द्वारा विकसित नवप्रवर्तन केंद्र युवाओं को रचनात्मक एवं नवाचार के कार्यों में संलग्न रखेगी।

ये केंद्र नए विचारों एवं नवाचार को आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे और इस प्रकार बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण समाज एवं अर्थव्यवस्था को भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में मदद करेंगे। विशेषकर, इन नवप्रवर्तन केन्द्रों के माध्यम से विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में रचनात्मकता बनी रहेगी जिससे आधुनिक विज्ञान में प्रतिभाओं को बनाए रखा जा सकेगा।

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